सौर पैनल काम कैसे करता है: फोटोवोल्टिक प्रभाव का विस्तृत
ऊर्जा को बिजली में बदलने की यह अद्भुत प्रक्रिया एक सरल, लेकिन वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित है जिसे फोटोवोल्टिक प्रभाव (Photovoltaic Effect) कहते हैं। सौर पैनल, जिसे हम आमतौर पर देखते हैं, वास्तव में कई छोटे-छोटे घटकों से मिलकर बना होता है, जिन्हें सोलर सेल या फोटोवोल्टिक सेल कहा जाता है। इन सेल्स के भीतर ही सूर्य का प्रकाश बिजली के प्रवाह में बदल जाता है।
1. सोलर सेल की आंतरिक बनावट
हर एक सोलर सेल मुख्य रूप से सिलिकॉन नामक अर्धचालक सामग्री (Semiconductor material) से बना होता है। सिलिकॉन की दो परतों को एक साथ जोड़ा जाता है: पहली परत, जिसे N-टाइप कहा जाता है, में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं, जो इसे ऋणात्मक आवेश (Negative Charge) देते हैं। दूसरी परत, जिसे P-टाइप कहा जाता है, में इलेक्ट्रॉनों की कमी होती है, और इन खाली स्थानों को होल्स (Holes) कहा जाता है, जो इसे धनात्मक आवेश (Positive Charge) देते हैं। जब ये दोनों परतें मिलती हैं, तो इनके बीच एक महत्वपूर्ण सीमा बन जाती है जिसे PN जंक्शन कहा जाता है, और यही जंक्शन एक आंतरिक विद्युत क्षेत्र (Electric Field) बनाता है।
2. प्रकाश से इलेक्ट्रॉनों का मुक्त होना
जब सूर्य का प्रकाश (जो ऊर्जा के कणों, फोटॉन से बना होता है) सोलर पैनल पर पड़ता है, तो ये फोटॉन अपनी ऊर्जा को सेल के सिलिकॉन परमाणुओं में स्थानांतरित कर देते हैं। इस ऊर्जा को पाकर, N-टाइप और P-टाइप सिलिकॉन दोनों में मौजूद इलेक्ट्रॉन अपनी जगह से मुक्त हो जाते हैं।
3. PN जंक्शन द्वारा बिजली का निर्माण
मुक्त हुए ये इलेक्ट्रॉन रैंडम रूप से घूमने के बजाय, PN जंक्शन द्वारा बनाए गए विद्युत क्षेत्र के कारण एक निश्चित दिशा में धकेले जाते हैं। यह इलेक्ट्रिक फील्ड एक-तरफा बैरियर की तरह काम करता है, जो इलेक्ट्रॉनों को P-टाइप साइड से दूर, N-टाइप साइड की ओर भेज देता है। परिणामस्वरूप, N-साइड में मुक्त इलेक्ट्रॉन जमा होने लगते हैं, जिससे वहाँ एक ऋणात्मक (Negative) आवेश उत्पन्न होता है। इसके विपरीत, P-साइड में होल्स (इलेक्ट्रॉनों के खाली स्थान) जमा हो जाते हैं, जिससे वहाँ एक धनात्मक (Positive) आवेश बन जाता है। इस तरह, सेल के दोनों सिरों के बीच एक वोल्टेज या विभव अंतर (Potential Difference) पैदा होता है।
4. विद्युत धारा का प्रवाह
जब सोलर सेल के N-साइड और P-साइड को एक बाहरी सर्किट (जैसे कि एक तार) के माध्यम से जोड़ा जाता है, तो N-साइड में जमा हुए अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन इस सर्किट से होते हुए P-साइड की ओर भागने लगते हैं ताकि वे होल्स को भर सकें। इलेक्ट्रॉनों का यह नियंत्रित प्रवाह ही डायरेक्ट करंट (DC) कहलाता है, और यही वह बिजली है जिसका उपयोग हम करते हैं।
इस प्रकार, सौर पैनल में कोई घूमने वाला हिस्सा नहीं होता; यह पूरी तरह से अर्धचालक भौतिकी पर निर्भर करता है, जो प्रकाश ऊर्जा को कुशलतापूर्वक और सीधे विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। इस DC बिजली को घर के उपकरणों के लिए उपयोग करने योग्य AC (अल्टरनेटिंग करंट) में बदलने के लिए एक इन्वर्टर का उपयोग किया जाता है।
क्या आप जानना चाहेंगे कि विभिन्न प्रकार के सोलर पैनल (जैसे मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन) एक-दूसरे से किस प्रकार अलग हैं?
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